Sapno Ka Ek Parinda
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता.
ऊँची ऊँची इमारतों में…
न मिला आशियाँ,
भूला इस क़दर कि
खो दिया आसमाँ
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता
[…]
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता.
ऊँची ऊँची इमारतों में…
न मिला आशियाँ,
भूला इस क़दर कि
खो दिया आसमाँ
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता
[…]
उसे न तो जानता था, न पहचानता था. सिर्फ़ नाम जानता था, उसकी लिखाई ( हैंडराइटिंग) पहचानता था, पर ख़यालो में उसे अक्सर ढूँढा करता था … बड़ी चाह थी एक बार तो मिलूं उससे … मगर हर […]
दिवाली की छुट्टियों का मौसम था… मेरा शहर सुबह-सुबह जाग जाता, और फिर.. दिन भर अलसाया सा रहता… मैं भी अपनी बालकोनी पे कोई किताब खोले… बैठा कम, सोता ज़्यादा रहता … करता भी तो क्या..तब छानने के लिए […]
Jahaan Sooraj imaaraton ke peechhe nahin doobta..
Nadiyaan ruk-ruk ke, tham-tham ke nahin behti..
Jahaan Jungalon ko koi khauf nahin
leharon pe koi zor nahin,
udaanon pe bhi rok nahin…
Jahaan Toote hon saare daayare,
aur mit gayi ho sari haddein…
Chal, Aise Kal ki oar chal…
Chal, […]
Wo bula leti hai,
Chaand ko zamee par …
Sitare bichha deti hai
apne aangan mein…
Katori mein bhar kar pyaar
Chammach se amrit pilatee hai…
Apni halki si phoonk se
bade se bada dard mitati hai…
Ishaaro par uske
nachate hain sher cheete
Raakshas bhi darte
Uski Chutkiyo se
Bhoot […]
सड़क की चीखें..जब कानों को काटती नहीं..
तो एक अजीब सा कोलाहल
रेंगता है मन में…
तनाव ढीलता है
तो कमज़ोरी कसने लगती है
ऑक्सिजन की ओवर सप्लाइ
फेफड़ों को डसने लगती है…
ऐसा लगता है…
जैसे शहर मरने लगा है मुझ में..
पहाड़ों से उलझे तारों को देख […]
बहा है लहू अगर
तो प्यार भी बहा होगा
देखा तो सभी ने होगा
कहा किसी से न होगा
लहू से सने हैं हाथ तो
ज़रूरी नहीं वो क़ातिल
गोलियाँ खाके गिरते लोगों को
किसी ने तो संभाला होगा…
बहा है लहू अगर
तो प्यार भी बहा होगा
देखा तो […]