Sapno Ka Ek Parinda
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता.
ऊँची ऊँची इमारतों में…
न मिला आशियाँ,
भूला इस क़दर कि
खो दिया आसमाँ
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता
[…]
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता.
ऊँची ऊँची इमारतों में…
न मिला आशियाँ,
भूला इस क़दर कि
खो दिया आसमाँ
सपनों का एक परिंदा
हर पल चला उड़ता,
नई नई गलियों में
मंज़िलें नई ढूंढता
[…]
1. छत की ख्वाहिश लाज़मी है मगर बारिश के बगैर बसर कहाँ ,
ऊँची इमारत पसंद है मगर फूटपाथ के बगैर शहर कहाँ
मस्जिदों का नाम बहुत है मगर गरीब की दुवाओं के बगैर असर कहाँ ,
कातिल को रातों रोते […]
Jahaan Sooraj imaaraton ke peechhe nahin doobta..
Nadiyaan ruk-ruk ke, tham-tham ke nahin behti..
Jahaan Jungalon ko koi khauf nahin
leharon pe koi zor nahin,
udaanon pe bhi rok nahin…
Jahaan Toote hon saare daayare,
aur mit gayi ho sari haddein…
Chal, Aise Kal ki oar chal…
Chal, […]
1 – Wounded hope!
Wings are withered
Hope is wounded
No affection left
Relation seems
Too heavy to carry
Feelings are null
What left is just
Void, void, void
Here, there
Everywhere
Shattered, fragile
And vulnerable
Kya banunga bade hokar ,
Sochta tha bachpan mein.
Kabhi police ki wardi mein,
Toh kabhi badey pardon par,
Dekhta tha khud ko
na jaane kitne rangon mein..Ab jo kaam main karta hun,
Kehata hun sab se badhiya hai,
Sach poocho toh yeh kewal,
2 paison ka ek […]
सड़क की चीखें..जब कानों को काटती नहीं..
तो एक अजीब सा कोलाहल
रेंगता है मन में…
तनाव ढीलता है
तो कमज़ोरी कसने लगती है
ऑक्सिजन की ओवर सप्लाइ
फेफड़ों को डसने लगती है…
ऐसा लगता है…
जैसे शहर मरने लगा है मुझ में..
पहाड़ों से उलझे तारों को देख […]
बहा है लहू अगर
तो प्यार भी बहा होगा
देखा तो सभी ने होगा
कहा किसी से न होगा
लहू से सने हैं हाथ तो
ज़रूरी नहीं वो क़ातिल
गोलियाँ खाके गिरते लोगों को
किसी ने तो संभाला होगा…
बहा है लहू अगर
तो प्यार भी बहा होगा
देखा तो […]